वीडियो एडिटिंग -निशांत
जो अभी-अभी बीता वही भविष्य था. बारह बजने के तीस सेकेंड पहले मैंने एक ऐसा सपना देखा जो बस उम्र के प्रभाव के चलते ही देखा जा सकता था. अब मुझे भी ऐसे सपने आने लगे थे जो मेरे शरीर को झनझना देते थे. मैं सपनों की दुनिया में पसीने से तारतार हो जाता और शर्म के मारे एक लाल तौलिये से अपना मुँह ढँक लेता और एक हरे रंग कि तौलिये से अपना गर्दन पोंछने लगता. मेरे हाँथ पेट के ज़रा सा नीचे जाकर अचानक ऊपर आ जाते और फिर स्वचालित होकर उसी जगह पर एक बेढंगे किरायेदार की तरह टीक जाते. तीस सेकेंड बाद मेरी उम्र का बाद वाला अंक पाँच से छ: हो गया. मेरे दोस्त राकेश ने मुझे बताया था कि-‘ ऐसा होने पर राकेश के पास एक कॉल आता था जिसके उस पार से दबी हुई एक आवाज़ आती, हैप्पी बर्थ डे डियर’. इसके आगे राकेश ने कभी मुझे कुछ नहीं बताया. पर मेरे मन ने मुझे बताया की-‘ इसके आगे राकेश फोन से ही एक पप्पी शेयर करता होगा और चाँद-तारे वाली एक-दो शायरी कहता होगा’. फिर मैंने उस आवाज़ को भी पहचान लिया. वह आवाज़ जिसपर राकेश मरता था , वह आवाज़ शालिनी भारद्वाज की थी. एक दिन मैंने देखा था कि शालिनी भारद्वाज स्टेशन के पीछे वाली ...
Comments
Post a Comment