कविता से चरम महत्वाकांक्षी व्यक्ति हमेशा निराश रहते हैं : राजकिशोर राजन

राजकिशोर राजन हमारे समय के ज़रूरी और चर्चित कवि हैं, इनके चार कविता संग्रह आ चुके हैं और "कुशीनारा से गुज़रते हुए" सबसे हाल का संग्रह है. राजन भाई काफी कुछ पढ़ते रहते हैं और आलोचना और अनुवाद में भी उनके कई काम हैं. उनसे हमने बातचीत की. १. कविता क्या है आपके हिसाब से? क्यों लिखनी शुरू की? 
  
कविता अपरिभाषेय रही है अब तक।अब तक जो भी परिभाषाएं दी गयीं वे पूर्व से अधिक रिक्त रहीं।कविता शब्दों से लिखी जाती है पर वे मात्र शब्द नहीं हैं।पता नहीं क्यों लिखना शुरू किया।हाँ,इतना पता है कि जब बहुतों से कुछ कहना चाहता हूँ और सुनना चाहता हूँ तो संवाद के लिए लिखना शुरू किया।

 २. पठन का रचना में क्या योगदान है, आपको क्या लगता है? 

 पठन से रिक्त हुआ जाता है।मनुष्य जितना पठन पाठन करेगा उसी मात्रा में रिक्त होगा और अपनी लघुता से साक्षात्कार करेगा।अगर ऐसा नहीं तो बुनियाद में दोष है।पठन के बाद ही पता लगता है कि जो कागज़ मेरे सामने है उस पर न्य क्या लिख दूँ जो थोडा-बहुत पूर्व से भिन्न हो।

 ३. पहली पढ़ी हुई कविता कौन सी याद आती है? प्रिय कविता कौन सी है ? प्रिय कवि कौन हैं? 
  
पहली पढ़ी हुई कविता याद नहीं कौन सी थी।प्रिय कविताएँ कई कई हैं किनका नाम गिनायें।प्रिय कवियों में तुलसी,कबीर,निराला,नागार्जुन,त्रिलोचन,मुक्तिबोध,केदारनाथ सिंह,राजेश जोशी ,अरुण कमल आदि हैं।

४. कविता का रोल क्या है - समाज के सन्दर्भ में, या अन्य कोई सन्दर्भ आपके हिसाब से? क्या उसकी प्रासंगिकता जिंदा है अभी भी? 

. कविता लिखना,मनुष्य होना है।और मनुष्य को मनुष्य होना है,इसीलिए कविता की प्रासंगिकता बढ़ती जायेगी।

५. क्या पढना है इसका चयन करने का आपका क्या तरीका है?


 प्रिय विषय और अलहदा पन,चयन का आधार है।
  ६. लिखते हुए शिल्प कितना महत्वपूर्ण होता है?

  लेखन अंततः कला है।कला को सुन्दर तो होना ही चाहिए,सच हो तो बहुत अच्छा।इसी सुंदरता और सच्चाई को साधते हुए आगे बढ़ना है।कला या शिल्प उसी तरह जरूरी है जितना दाल में नमक,चाय में चीनी।मात्रा सही हो तो ठीक नहीं तो सब कुछ बेकार।मेरा मानना है कि लेखक अपनी वैचारिक दरिद्रता को ढंकने के लिए शिल्प के समक्ष आत्मसमर्पण कर देते हैं।उन्हें कलावादी ,रूपवादी कहा जाता है।

 ७. कविता से चरम महत्वाकांक्षा क्या है - प्रसिद्धि , पैसा, अमरता - कवि आखिर में क्या चाहता है?

 कविता से चरम महत्वाकांक्षी व्यक्ति हमेशा निराश रहते हैं।यह एक जटिल प्रश्न है।बहुतों के लिए प्रसिद्धि,पैसा,अमरता, तीनों है जबकि ऐसे भी रचनाकार हैं जिनके लिए ये गौण है।

 ८. नए लिखने वालों के लिए क्या सलाह देंगे?

 नए को क्या सलाह देना।साहित्य में कोई पुराना कब होता है।एक तो जीवन है,दुनिया भर के काम हैं।बहुत कुछ तो छुट जाता है जो हथेली पर आता है वह एक बूँद के समान है।लेकिन जैसा की बुद्ध ने कहा है--संसार में कोई किसी का दीपक नहीं बन सकता है,इसीलिए तुम अपना दीपक स्वयं बनो।किसी की बात इस लिए मत मान लो कि किसी महत्वपूर्ण किताब में लिखी हुई है अथवा किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति ने कही है।तुम अपने सोचो,अपने विचारो और लगे की सही हो तो मानो नहीं तो मत मानो।आगे बढ़ जाओ।

 ९. इधर क्या पढ़ रहे हैं और कौन सी किताबें आपको लगता है कि हर किसी को पढनी चाहिए?

इधर ,वोल्गा से गंगा,शेखर एक जीवनी,महागुरु मुक्तिबोध-कांति कुमार जैन,त्यागपत्र-जैनेन्द्र,वैश्या एवलिन रे-ब्रेख्त,मुक्तिमार्ग-हॉवर्ड फ़ास्ट पढ़ रहा हूँ।एक एक कर।अधिकतर दूसरी बार। मुझे लगता है कि रामचरित मानस,वोल्गा से गंगा,गोदान,मैला आँचल आदि सबको पढ़नी चाहिए।

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