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मील के पत्थर
आज चंद्र्ग्रहण है - निशान्त
आजतक वह यह नहीं समझ पाया था कि कलकत्ता एक महानगर है या कई छोटे-छोटे गाँवों से मिलकर बना एक नगर जिसका किसी ने केन्द्रीयकरण कर दिया हो. देबा कलकत्ता इस मर्तबा आठ सालों बाद लौटा था. आठ साल में कलकत्ता के राजनीतिक नारे भले ही बदल गये, लेकिन कलकत्ता शायद ही बदल पाया. स्टेशन पर वही भीड़भाड़, संकरी गलियां, कालीघाट की ओर जाने वाली सुरंग उसी हाल में कराहती नजर आ रही थी. सड़क पर बैठे तांत्रिक जो दस रुपए में भविष्य देखने का दावा आज भी कर रहे हैं, जो आज भी अपने आपको कामख्या से सिद्ध होकर आया हुए बताना नहीं भूले. मांसल शरीर वाली बंगाली औरतें जो आज भी भर मांग सिंदूर करती हैं और कम उम्र की जवान होती लड़कियां आज भी अपने माथे पर बिंदी लगाना नहीं भूली हैं. किसी भी किताब-कॉपी के दुकान पर शरतचंद्र की किताबें प्रथम पंक्ति में आज भी उसी तरह विराजमान है जैसे कि अंत तक देवदास के मन में पारो विराजमान थी. देबा का परिवार सात पीढ़ी पहले कलकत्ता आ गया था, जैसे कि पटना, भागलपुर ,बनारस की कई बस्तियां रातोंरात कलकत्ता के हिस्से आ जाता था. देबा के परिवार के कई लोगों ने कालीघाट पर बैठकर तांत्रिक का काम किया, उसके दादा ने
how to lose friends and alienate people: an e-pamphlet about poets, philosophers and the left
an e-pamphlet : about activities that are left and the need to understand the left dear diary, so basically, in a recent discussion (where i had to put up with a few "leftist" people ploughing the carcass of our democracy with fervent chants of mao mao) they decided that except the left and in that too, a specific group - the rest of them have been conformists to the status quo which is namely congress, while Bjp has always been the violent right. (to which i totally agree) as a poet, i despise labels and if only it was compulsory to assert to any identity, which no poet in the true sense will like - i'd be a poet, just a poet, with very specific old world set of ideals, and a very lower middle class consciousness. let us not dwell into history. that is useless. let us forget the stalins(for murder is not always murder and the frame of references are fixed stringently an
अगर अंदर संवेदना होगी तो नींद नहीं आएगी. हैशटैग बंगलौर ,हैशटैग दुनिया
दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार क्या है ? जिसके एक बार चल जाने के बाद पूरा का पूरा इलाका में सन्न रह जाये ? आप कहेंगे कि एटम बम या फिर हाइड्रोजन बम. तो साहब आज तक आप भ्रम में हैं. इन सब से भी एक खतरनाक हथियार है. सौभाग्यवश उस हथियार का खजाना है भारत के पास. सभ्यता और संस्कृति का हथियार. कहीं एक बार एटम बम चल जाए तो आदमी मर जाएगा है , आने वाली पीढ़ी अपंग पैदा होगी. लेकिन उनका विचार नष्ट नहीं हो जायेगा , सोच रहेगा , प्रतिरोध रहेगा. लेकिन मियां एक बार सभ्यता और संस्कृति का हथियार चल गया तो सारी जिरह बंद , सारे तर्क कूड़ेदान में . आप कहेंगे कि उस लड़की के साथ गलत हो गया. जवाब आएगा कि जरुर उसने भारतीय संस्कृति का पालन न किया होगा . साल के पहले दिन ही बेंगलुरु के सड़कों पर नए साल का जश्न मानती लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार बड़े स्तर पर होता है. शहर के जगह-जगह पर लड़कियों के साथ अभद्र व्यवहार की जाने की खबर और सीसीटीवी विडियो आते हैं. शर्म की जाने वाली इस घटना पर कर्नाटक राज्य के गृह मंत्री कहते हैं – ये घटना लड़कियों के वेस्टर्न कपडे और वेस्टर्न कल्चर के कारण हुए. सरकार पूरा का पूरा मुद्दा कल्चर / सं